शुक्रवार, 29 मार्च 2013

गाय







जब सुबह होती है
वह दरवाजे पर मिलती है
बड़ी आशा से हमारी तरफ देखती है
तब हम यह भूल जाते है
कि गाय हमारी माता है |

जो कुछ भी रात को बना होता है
अगर उसमे से कुछ बचा होता है
वह सब गाय के पेट में ही जाता है
तब यह  किसे याद आता है ?
कि गाय हमारी माता है |

जब दोपहर होती है

वह रोड पैर बैठी होती है
कोई न उसे हटाता है
क्योकि किसको यह पता है ?
कि गाय हमारी माता है |

जब शाम ढलती है

वह रोड से उठती है
जाने कहा को जाती है
कोई न यह जानता है
फिर भी गाय हमारी माता है |

जब त्यौहार आते है

हम उसे भोग चढाते है
तभी हमें याद आता है
कि गाय हमारी माता है |

हम गाय को माँ कहते है

क्योकि हम उसका दूध पीते है
और दूध का क़र्ज़ ऐसे चुकाते है
कि केवल फेका हुआ उसे खिलाते है
तब हम यह भूल जाते है
कि गाय हमारी माता है |

फिर भी गाय चुपचाप सहती है

शांत आखो से जाने क्या कहती है ?
हम नहीं समझ पाते है
फिर भी न जाने क्यों उसे माँ बुलाते है



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